डर के समग्र स्वीकार में ही निडरता है || आचार्य प्रशांत, संत कबीर पर (2017)

2019-11-27 7

वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
१० मई, २०१७
अद्वैत बोधस्थल, नोएडा

दोहा:
डर करनी डर परम गुरु, डर पारस डर सार।
डरता रहै सो उबरै, गाफिल खावै मार।। (संत कबीर)

प्रसंग:
डर क्या है?
डर से मुक्ति कैसे पाये?
मन को साफ कैसे रखें?
"डर करनी डर परम गुरु, डर पारस डर सार। डरता रहै सो उबरै, गाफिल खावै मार" इस दोहे का क्या अर्थ है?
संत कबीर डर को उचित क्यों बता रहें है?
गाफिल का क्या अर्थ है?